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बचत करना इतना मुश्किल क्यों है? क्योंकि हम इंसान इमोशनल होते हैं औ कभी-कभी लॉजिकल भी। अब आपको अपनी इच्छाओं को दबाने की ज़रूरत नहीं है। Jar App का इस्तेमाल करें। यह ऐप किफायती और ऑटोमैटिक है।
किसी ने सही कहा है कि आपके बैंक अकाउंट में रखा रुपया आपके पैरों पर रखे रुपए से हमेशा बेहतर लगता है।
हालांकि, इन शब्दों का मतलब उन जूतों से नहीं है जो आपके पैरों में फ़िट नहीं थे, बल्कि इनका मतलब चीजों की अहमियत से है।
हम हमेशा कुछ अच्छी, कुछ बुरी आदतें अपनाते हैं (अपनी सिगरेट के पैकेट को ही देखें, जो इस आर्टिकल के पूरा होने से पहले खत्म हो जाएगा)।
लेकिन, एक जरूरी आदत जो आज की नई पीढ़ी और जेन Z नहीं अपना रहे हैं, वो है रुपए की बचत।
"बचत" शब्द पॉजिटिव होता है। हम सभी बचत करने के लिहाज से और "बेहतर" बनने की इच्छा रखते हैं। लेकिन, हमें शायद ही कभी खास और प्रैक्टिकल शब्दों में बताया जाता है, कि बचत आखिर कैसे की जाए।
डेलॉइट के एक इंपीरिकल अध्ययन में पाया गया कि भारतीय मिलेनियल्स अपनी आय का औसतन 10% से भी कम बचाते हैं।
यह नंबर चौंकाने वाला है, क्योंकि फाइनेंशियल प्लानर सलाह देते हैं कि अगर आप चिंतामुक्त होकर रिटायर होना चाहते हैं, तो आपको अपनी आय के कम से कम 15% हिस्से को दशकों के लिए अलग रखना चाहिए।
तो, साफ तौर पर इस स्थिति को सुधारने के लिए कुछ न कुछ जरूरी है और Jar में हम आपको इसी स्थिति से उबरने में मदद करते हैं।
इस आर्टिकल में, हम यह पता लगाएंगे कि सबसे सुंदर जूते खरीद सकने के साथ ही, बचत की सहज आदत आपके बैंक खाते में रुपए कैसे बढ़ा सकती है।
अगर आपने महंगे जूते खरीदने और उन्हें खरीद सकने की क्षमता के बीच की बारीकियों को जान लिया है, तो आपको बधाई। आप इस अद्भुत आदत को विकसित करने के एक कदम और करीब गए हैं।
हम एक आदत को कैसे परिभाषित करते हैं? आदत 'एक व्यवस्थित या नियमित अभ्यास है, जिसे छोड़ना मुश्किल है।'
हम सभी जानते हैं कि रुपए बचाने के उलट, रुपए ख़र्च करने की आदत को छोड़ना बहुत मुश्किल है, ख़ासकर ऐसे समय में जब चूल्हे पर दूध गर्म करने की तुलना में इंस्टाग्राम में दिख रहे विज्ञापनों से सामान खरीदना ज्यादा आसान होता है।
सवाल बना रहता है कि हम बचत करने की आदत कैसे बनाएं।
यह आदत कैसे बनाएं या इस तरह की कोई भी आदत कैसे विकसित की जाए। इसे समझने के लिए जेम्स क्लियर की 'एटॉमिक हैबिट्स' एक बेहतरीन किताब है।
जेम्स ने इसमें बताया है कि कोई भी आदत बनाने का मतलब होता है, आपके लिए एक अनुकूल माहौल बनाना, ताकि इस माहौल से आपको कोई एक निश्चित काम करने की प्रेरणा मिलती रहे।
क्या आप स्कूल के समय की उस पढ़ने की जबर्दस्त आदत को वापस नहीं पा सकते हैं?
सुबह अपने बिस्तर पर एक किताब छोड़ने की कोशिश करें, ताकि जब आप रात में बिस्तर पर जाएं तो आप इसे पढ़ने के लिए मजबूर हो सकें।
अब, इस तर्क के आधार पर बचत की आदत विकसित करने के लिए आपका पहला कदम यह होगा कि आप अपने वातवरण और व्यवहार की जांच करें और उन वजहों की पहचान करें, जो आपको बचत करने के लिए आकर्षित करती हों।
यह स्वीकार करना मुश्किल है कि आपको वास्तव में कैप्टन अमेरिका-थीम वाले बाथरूम सजावट की जरूरत नहीं थी, लेकिन अपने रुपयों को खुद से बचाने के लिए इन चीजों को जानना ज़रूरी है।
अपनी आदतों में ऐसी गैर-जरूरी चीज़ों को पहचाने और उनसे छुटकारा पाना सीखें।
अगला कदम है एक ऐसी प्रक्रिया बनाना, जो आपको हर महीने अपनी कमाई की एक निश्चित राशि अलग रखने के लिए मजबूर करता हो।
यही वह समय होता है, जहां 'खुद को पहले पे करें' का कॉन्सेप्ट आता है। खुद को पहले पे करने का मतलब है, कि हर बार वेतन आने पर रुपए खर्च करने से पहले बचत के लिए एक निर्धारित राशि को अलग करना।
उदाहरण के लिए, हर महीने जब आपका वेतन आता है, तो x राशि को बचत खाते में और बाकी को खर्च करने के लिए अलग रख दें।
जाहिर है, इस तरीके की सफलता आपके गैर-जरूरी खर्चों से अपने आपको रोकने की क्षमता पर निर्भर करती है।
अगर हर महीने नहीं हो पता, तो आप कुछ छोटे से शुरू करते हैं। जैसे, हर दिन बचत करना। भले ही वह 10 रुपए ही क्यों न हों। बस उन्हें बचाएं। यह एक कम राशि लग सकता है, लेकिन अगर आप लगातार करें तो यह एक काफी बड़ी बन सकती है।
बचत करने की आदत डालने के सबसे आसान तरीकों में से एक है, अपनी बचत को ऑटोमेट करना। अपने रुपए बचाने के लिए बस कोई ऑटोमैटिक तरीका सेट कर लें।
यह आपको गैर-जरूरी खर्चों की इर्द-गिर्द चलने वाली आपकी लाइफस्टाइल को एडजस्ट करने में मदद करेगा।
जैसे अपनी डाइट में कुकी खाने से आपकी कमर एक इंच बढ़ जाती है, वैसे ही अपनी बचत में थोड़ा-सा खर्च करने से आपको बहुत नुकसान हो जाता है।
आपने अनुमान लगा लिया होगा कि सभी तरीकों की तरह, इसे भी सख्ती से पालन करके अपनाया जा सकता है।
अगर आप नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं, तो आप अब तक की गई प्रगति खो देंगे।
लोग अक्सर बचत करने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे बचत करने लायक पर्याप्त कमाई नहीं कर रहे हैं।
ईमानदारी से कहें, तो कंप्यूटर स्क्रीन के आगे बैठे किसी व्यक्ति का यह मान लेना गलत है कि यह यह सच्चाई हर किसी पर लागू नहीं होती।
लेकिन, मजबूती के साथ यह तो कहा ही जा सकता है कि रुपए बचाने के लिए आपको मोटी आय की जरूरत नहीं है। हां, बिल्कुल। 1000 रुपए की आय पर 300 रुपए की बचत करना 1,00,000 रुपए की आय पर 30,000 रुपए की बचत के बराबर है।
अपने रुपयों को बचाने और बढ़ाने के लिए बड़ी रकम से शुरू करना ज़रूरी नहीं है, बल्कि जरूरी होता है इसे जल्द से जल्द शुरू करना।
आप जितनी कम उम्र से बचत शुरु करेंगे आपको उतना ही ज्यादा फायदा होगा। सच में। वॉरेन बुफ़े ने 11 साल की उम्र में अपना पहला स्टॉक खरीदा था। आज उनकी संपत्ति 107 अरब अमरीकी डालर है।
उनका सबसे बड़ा अफसोस है 11 साल की उम्र से पहले भी अपने पैसे की बचत और इंवेस्ट न करना।
सचमुच समय ही सबसे बड़ा धन है। याद रखें, आपकी धीरज न होने से आप आगे नहीं बढ़ सकते देगी और आपका धीरज आपकी किस्मत बना देगा। यह किस्मत कैसे बनेगी? हम आपको इसका जादुई तरीक़ा समझाते हैं।
सामान्य विश्वास के उलट, अगर आप इसे बैंक खाते में छोड़ देते हैं तो आपका रुपया बढ़ेगा नहीं। वास्तव में, अपने रुपए को बैंक खाते (या आपके बिस्तर के नीचे एक तकिए) में रखने से उसका मूल्य कम हो जाएगा।
यह मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन), यानी कीमतों में सामान्य वृद्धि और रुपए के क्रय मूल्य में गिरावट के कारण होता है।
पिछले 10 सालों में, भारत में मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) की औसत दर 7.6% है। इसका मतलब है कि आज आप जो 100 रुपए बचाएंगे, उसकी कीमत कल 92.4 रुपए होगी।
तो, यह साफ है कि हमारे रुपए के मूल्य को बनाए रखने के लिए, हमें रुपए को इस तरह रखना होगा कि जिससे इसका मूल्य बढ़े।
रुपए बचाना अमीर बनने का पहला कदम है, दूसरा कदम उस रुपए को इंवेस्ट करना है।
आज की नई पीढ़ी और जेन Z के लिए इंवेस्टमेंट के ढेर सारे विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें सदाबहार डाकघर बचत स्कीम से लेकर इंटरनेट की लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी तक शामिल हैं।
लेकिन, इन सभी इंवेस्टमेंट के तरीक़ों में जो चीज एक जैसी है, वह है कंपाउंडिंग का कॉन्सेप्ट।
कंपाउंड इंटरेस्ट, जमा या लोन पर मिलने वाला ब्याज या इंटरेस्ट है, जिसकी गणना, शुरुआती मूलधन और पिछली अवधि से संचित ब्याज दोनों के आधार पर की जाती है।
सीधे शब्दों में कहें तो, यह "ब्याज पर ब्याज" है और यह साधारण ब्याज की तुलना में एक राशि को तेज दर से बढ़ा देगा, जिसकी गणना केवल मूलधन पर की जाती है।
दूसरे शब्दों में, 100 रुपए पर 10% साधारण ब्याज दर से आपको दो साल के अंत में 120 रुपए मिलेंगे, जबकि 100 रुपए पर 10% कंपाउंड इंटरेस्ट से आपको दो साल के अंत में 121 रुपए मिलेंगे।
हो सकता है कि साधारण ब्याज और कंपाउंड इंटरेस्ट के नतीजों के बीच 1 रुपए का यह अंतर आपको कंपाउंडिंग की ताकत में विश्वास करने के लिए पर्याप्त न हो।
लेकिन, यह जानकर कि वारेन बुफ़े की कुल संपत्ति में 81.5 अरब अमरीकी डालर उनके 65वें जन्मदिन के बाद ही पता चले, आपको दो बातों का एहसास होना चाहिए:
- कंपाउंडिंग एक बेहद ताक़तवर कॉन्सेप्ट है, जो आपकी मूल राशि और आपकी ब्याज राशि को एक साथ बढ़ाती है;
- जितने लंबे समय के लिए कंपाउंड इंटरेस्ट पाने की अनुमति होती है, आपके धन में वृद्धि उतनी ही अधिक होगी।
संक्षेप में कहें तो 10 फीसदी सालाना कंपाउंड इंटरेस्ट पर हर दिन 100 रुपए की बचत करने से 23 साल 9 महीने बाद आपको 1 करोड़ रुपए मिलेंगे।
एक करोड़ देखने से पहले खुद को 23 साल तक इंतजार करने के लिए मनाना कठिन है, खासकर तब, जब हाई स्कूल में गणित में फेल होने वाला बच्चा आज क्रिप्टो करोड़पति है।
लेकिन, जब आपको याद आता है कि सिगरेट के एक पैकेट की कीमत लगभग 200 रुपए है, तो धूम्रपान के बजाय रोजाना 100 रुपए की बचत करने से यह सुनिश्चित हो जाएगा कि 23 साल के अंत में आपके पास एक करोड़ हैं और आप इसे खर्च करने के लिए जीवित हैं।
तो, आपके पास है धनवान होने का राज, जिसे हमने आपके साथ साझा किया है। अब जितनी जल्दी हो सके, अपनी आय के एक हिस्से को नियमित तौर पर बचाना शुरू करें।
इसमें इंवेस्ट करें और कंपाउंडिंग को अपना जादू चलाने दें। आज ही अपने पेड़ लगाएं, ताकि आप आने वाले सालों में उनकी छाया का आनंद उठा सकें। हैप्पी इंवेस्टमेंट!