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सभी को आर्थिक आज़ादी चाहिए होती है लेकिन बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं। क्यों? इसका एक ही कारण है कि जो लोग फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हैं उनके पास वित्तीय साक्षरता भी होती है।
अचानक से जब फोन या लैपटॉप रिपेयर का बिल हमारे पास आता है तो हम कितने परेशान हो जाते हैं ना। हमें समझ नहीं आता है कि इसका कैसे भुगतान किया जाए?
लेकिन सोचिए, तब क्या हो जब लैपटॉप या फोन पर आया खर्चा बड़ी चीज ना लगे ? परेशान हुए बिना आप बेहद आसानी से बिल का भुगतान कर पाएंगे।
इसका आपकी आर्थिक स्थिति पर असर बहुत थोड़ा सा ही पड़ेगा, जो आपको परेशान बिल्कुल नहीं करेगा।
इसे कहते है आर्थिक आज़ादी।
आर्थिक आज़ादी पैसों से जुड़ी वो स्थिति है जिसमें आपके पास अपने खर्चे पूरे करने के लिए ज़रूरतभर धन होता है।
इन खर्चों को पूरा करने के लिए आपको अलग से कोई काम करने की ज़रूरत नहीं होती है।
आप अचानक से आने वाले खर्चों के लिए परेशान नहीं होते हैं क्योंकि आप पहले से तैयार होते हैं।
ये तब होता है जब कमाने के लिए काम करने की तुलना में आपके पास मौजूद पैसों से और पैसे बन सकें वो भी प्रति घंटे के हिसाब से!
तब आप पैसों की चिंता किए बिना ही निर्णय ले पाते हैं। इसका सपना तो सभी देखते हैं।
एक बार जब आपको आर्थिक आज़ादी मिल जाती है तो आप अपने जूनून को समय दे पाते हैं जैसे म्यूजिक, स्पोर्ट्स, आर्ट, दुनिया घूमना वगैरह।
इसका मतलब अत्यधिक पैसा होना या शान की जिंदगी जीना बिल्कुल नहीं है बल्कि इसका मतलब पास में ज़रूरतभर पैसों का होना है।
हालांकि ये तब ही संभव है जब आप वित्तीय साक्षर हों। जो फ़िलहाल हमारे देश में बड़ी परेशानी है।
अच्छे फाइनेंशियल मैनेजमेंट के साथ ये पाया जा सकता है लेकिन ज़्यादातर लोग इसे नहीं जानते हैं।
नेशनल सेंटर फॉर फाइनेंशियल एजुकेशन की ओर से 2019 में किए गए एक पोल में पाया गया है कि 80 प्रतिशत भारतीय साक्षर हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 27 प्रतिशत ही वित्तीय तौर पर साक्षर हैं।
व्यक्ति जब कमाना शुरू करता है और जब निवेश शुरू करता है, इन दोनों ही स्थितियों में औसतन 10 साल का अंतर होता है।
सभी को ये पता होना चाहिए कि फाइनेंस की ज़्यादा चिंता किए बिना भी जीवन के निर्णय लिए जा सकते हैं।
आपको फाइनेंशियल साक्षरता बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। यह आपको कंट्रोल करे इससे बेहतर है कि आप इसे कंट्रोल कर लें।
कोविड-19 महामारी ने लाखों जिंदगियों को खतरे में डाल दिया है तो आर्थिक तौर पर लोगों को कमजोर भी किया है।
इस बात में कोई शक ही नहीं है कि इस स्थिति ने जिन खास बातों को हमें सिखाया है, उनमें आर्थिक तौर पर मजबूत होना सबसे ऊपर आता है।
लेकिन असल में फाइनेंशियल साक्षरता है क्या?
आम भाषा में कहें तो फाइनेंशियल साक्षरता वो योग्यता है जिसमें किसी के संसाधन और कमाई को व्यवस्थित करने के लिए सटीक आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं।
ये मजबूत आर्थिक रणनीति बनाने की योग्यता भी है। ये जीवन का एक ज़रूरी स्किल है जिसका असर हमारी व्यक्तिगत ख़ुशी पर सीधे तौर पर पड़ता है।
इसको स्कूल और कॉलेज में भी पढ़ाया जाना चाहिए ताकि हम शुरुआत से सही आर्थिक निर्णय लेने के लिए तैयार रहें।
छोटी उम्र में पर्सनल फाइनेंस और पैसों से जुड़े स्किल सीख लेने से इनके असल जिंदगी में शामिल हो जाने की संभावना बनी रहती है जैसे बजटिंग, नियमित बचत, निवेश और समझदारी से खर्च।
अगर हम खुद सही आर्थिक रणनीति बनाने में असफल रहते हैं तो ज़रूरी है कि एक्सपर्ट से सलाह ले ली जाए।
यहीं पर फाइनेंशियल प्लानर के साथ फाइनेंशियल प्लानिंग वेबसाइट और अप्लिकेशन आपकी मदद करते हैं। इंटरनेट की मदद से आज हमें सभी ज़रूरी जानकारी तुरंत मिल जाती हैं।
एक साधारण गूगल सर्च भी हमें फाइनेंशियल प्लानिंग, इससे जुड़े ज़रूरी तथ्य और फाइनेंशियल प्लानर्स की ज़रूरी जानकारी दे देती है।
आर्थिक आजादी पाने की यात्रा शुरू करने से पहले आपको इन आदतों पर ध्यान देना होगा:
जब आपके ऊपर क़र्ज़ होता है तो बढ़ती ब्याज दर आप पर पैसों का दबाव बढ़ाता ही जाता है. भुगतान कर देने की तुलना में ये बहुत ज़्यादा होता है.
इससे आपका पैसों पर कंट्रोल नहीं रहता है और दिक्कतें बढती ही जाती हैं।
क़र्ज़ खत्म करने की कोशिश में आपको आर्थिक आज़ादी मिल सकती है।
अपने पैसों को लेकर एक सटीक प्लान तैयार किए बिना आप आगे नहीं बढ़ पाएंगे। हम समझते हैं ये कठिन हैं लेकिन सिर्फ एक कमाई से अगली कमाई तक जीना बंद करना होगा।
इमर्जेंसी फंड बनाकर आर्थिक आज़ादी की ओर पहला स्टेप लिया जा सकता है।
इमर्जेंसी फंड के साथ आप किसी भी तरह के बुरे समय का सामना कर सकते हैं।
जब एक बार आप कर्ज़ों से फ्री हो जाएं और इमर्जेंसी फंड के लिए जोड़ने लगें तो आप रोज़मर्रा के खर्चों से भी बाहर निकलें और नॉन इमर्जेंसी फंड जैसे रिटायर्मेंट, बच्चों की शिक्षा और छुट्टियों के लिए बचत करना शुरू करें।
ये काम थोड़ा कठिन हो सकता है क्योंकि अपनी कमाई को एक ही समय पर कई हिस्सों में बांटने की प्लानिंग करना आसान बिल्कुल नहीं होता है।
अपने खर्चों के साथ बचत को भी मैनेज करके आर्थिक आज़ादी की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
आपको निवेश के विकल्पों के बारे में भी सीखना होगा।
सही आर्थिक निर्णय लेना पहला कदम है लेकिन पूंजी को मैनेज करना और बाकी जीवन में ऐसा करते रहना आसान नहीं है।
ये ऐसा काम है जिसे आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को पाने के लिए करना ही होगा। इससे आपको आर्थिक स्थिरता पाने का मौका मिलेगा।
अपनी पूंजी को ऑटोपायलट मोड पर छोड़कर ज़्यादा फ़ायदा नहीं मिलता है। आपको अपनी पूंजी नियमित तौर पर जांचनी होगी। हर कुछ दिन में इसका आकलन भी करना होगा ताकि ये समझा जा सके कि बदलाव कहां करने हैं।
आर्थिक आज़ादी सबके लिए खास होती है और परिस्थियों के हिसाब से इसको पाने में समय भी लगता है। आपको ध्येय सेट करके सिर्फ खर्चों को कम ही नहीं करना है बल्कि पूंजी के साथ आपको हेल्थी रिश्ता भी बनाना है।
लेकिन एक बार जब आप इसे पा लेते हैं तो अपने भविष्य को लेकर निश्चिंत हो जाते हैं और अपने मनमुताबिक सबकुछ कर पाते हैं।
क्या आप जानते हैं छोटे-छोटे क़दमों के साथ आप कैसे शुरुआत कर सकते हैं? ऑटोमेटेड डेली सेविंग Jar app के माध्यम से निवेश शुरू करके आप ये काम कर सकते हैं। इससे आपकी जेब पर ज़रा सा भी असर नहीं पड़ेगा।
निवेश की छोटी योजना के साथ आपकी पूंजी का ऑटोमेटिकली डिजिटल गोल्ड में निवेश हो जाएगा। जो सभी जानते हैं कि आपके प्रोफाइल के लिए बहुत ज़रूरी है।
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