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पोर्टफ़ोलियो का डायवर्सिफ़िकेशन आपके फ़ाइनेंशियल उद्देश्यों को पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है। लेकिन क्या आप पोर्टफ़ोलियो को डायवर्सि बनाने का फ़ॉर्मूला जानते हैं? इस लेख में पढ़िए।
आपने यह तो सुना ही होगा कि सभी अंडे एक टोकरी में नहीं रखने चाहिए। ठीक वैसे ही, इनवेस्टमेंट के मामले में भी इस सिद्धांत को लागू करें।
कल्पना करें कि अगर आप अपना सारा पैसा एक ही इनवेस्टमेंट में लगा दें, तो क्या होगा। जब तक स्टॉक फ़ायदा देता रहेगा तब तक तो सब कुछ ठीक रहेगा।
लेकिन अगर मार्केट तेज़ी से गिरता है, तब क्या होगा? आप अपना पूरा इनवेस्टमेंट एक झटके में खो सकते हैं। और कोई भी ऐसा नहीं चाहेगा, है ना?
यही कारण है कि आपको अपनी इनवेस्टमेंट के सफ़र को और अच्छा बनाने के लिए कई तरह के इनवेस्टमेंट में अपने पैसे को डायवर्सिफ़ाई करना चाहिए।
इस तरह, आप किसी एक इनवेस्टमेंट के ही भरोसे नहीं रहेंगे। यह आपके रिटर्न को कम किए बिना ओवरऑल रिस्क को कम करेगा।
यह वैसा ही है जैसे कहते हैं ना, "क्योंकि कोई नहीं जानता कि यह रेस कौन जीतेगा, तो आइए सभी पर दांव लगाएं।"
सरल शब्दों में कहें तो, डायवर्सिफ़िकेशन को डाइवर्स इनवेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो के रूप में समझा जा सकता है, जो वक़्त के साथ एक ही मार्केट में होने वाले या इकोनॉमिक बदलावों पर अलग-अलग तरह से रिएक्ट करता है।
एक डाइवर्स स्टॉक पोर्टफ़ोलियो में कई इंडस्ट्री से 20-30 (या इससे ज़्यादा) स्टॉक, बॉन्ड, फ़ंड, रियल एस्टेट, गोल्ड, FD और यहां तक कि सेविंग अकॉउंट जैसे कई तरह के इनवेस्टमेंट शामिल हो सकते हैं।
जैसे-जैसे इकॉनमी बढ़ती और घटती है, हर एसेट अलग-अलग बढ़ता और घटता है और हर एक में फ़ायदे और नुकसान की अलग-अलग संभावना होती है:
ऊपर बताए गए इनवेस्टमेंट में से कुछ का एक साथ इस्तेमाल कर आप अपने पोर्टफ़ोलियो के मार्केट के उतार-चढ़ाव के रिस्क को कम कर सकते हैं।
डायवर्सिफ़ाई करने के कई फ़ायदे हैं। यह आपको अच्छे नतीजे देता है क्योंकि एसेट अलग-अलग इकॉनमिक टाइम में अलग-अलग परफ़ॉर्म करते हैं।
हालांकि, इक्विटी में उतार-चढ़ाव हो सकता है और बॉन्ड वग़ैरह भी ऊपर नीचे हो सकते हैं, लेकिन गोल्ड और FD धीरे-धीरे बढ़ती रहती है।
तो, एक तरह से हर एसेट की कई क़्वान्टिटी होने से उस एसेट के रिटर्न का एवरेज ज़्याद मिलता है।
केवल एक रॉकेट-शिप स्टॉक के होने से आपको अचानक कोई बड़ा रिटर्न तो नहीं मिलेगा, पर साथ ही आपको इसके उतार-चढ़ाव से भी जूझना नहीं पड़ेगा।
पोर्टफ़ोलियो डायवर्सिफ़िकेशन के कुछ और फ़ायदे यहां दिए गए हैं, जो इनवेस्टमेंट रिस्क को कम करने में मदद करते हैं:
याद रखें, डायवर्सिफ़िकेशन कोई नंबर गेम नहीं है। सबसे बड़ा इनवेस्टमेंट करने वाला हमेशा ही इनाम नहीं जीतता है।
डायवर्सिफ़िकेशन के लिए क्रिकेट टीम बनाने जैसी सोच रखें। केवल अच्छे बल्लेबाजों की टीम आपको किसी गेम में बहुत अच्छा रिज़ल्ट नहीं देगी।
11 लोगों की एक अच्छी टीम बनाने के लिए आपको 5 बल्लेबाजों, 4 गेंदबाजों, 1 ऑलराउंडर और 1 विकेटकीपर की ज़रूरत होती है। अपना पोर्टफ़ोलियो बनाने के लिए इसी तरह की नीति अपनाए।
आपके पोर्टफ़ोलियो में डायवर्सिफ़िकेशन लाने के लिए कई स्ट्रेटेजी हैं, लेकिन मूल सिद्धांत वही रहता है: आपके पोर्टफ़ोलियो में हर आइटम का उद्देश्य अलग-अलग होना चाहिए।
इसके बारे में मालूम करने के तरीक़े हैं:
1. इनवेस्टमेंट करने से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करें और प्लान बनाएं
तीन मुख्य एसेट श्रेणियों: कैश, फ़िक्सड इनकम और इक्विटी में अपने इनवेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो में डायवर्सिफ़िकेशन लाने के लिए अच्छी तरह से रिसर्च और प्लान बनाकर शुरूआत करें।
आपको अपने पूरे इनवेस्टमेंट या पोर्टफ़ोलियो का कितना प्रतिशत हर एसेट श्रेणी में लगाना चाहिए?
आपको अपने एसेट और इनवेस्टमेंट प्रिफ़ेरेंस पर विचार करके अपना जवाब ढूंढ़ना होगा। खुद से पूछें,
किसमें इनवेस्ट करना है, यह तय करने से पहले ऊपर दिए गए इन सवालों के जवाब देना ज़रूरी है।
2. रिस्क बांटे
अगर आप पैसे को किसी एक कंपनी के शेयर में डालते हैं और यह कंपनी क्रैश हो जाती है, तो आप अपना सारा पैसा खो देंगे। अगर आप अपना सारा पैसा एक ही बॉन्ड में इनवेस्ट करते हैं और इसे जारी करने वाला दिवालिया हो जाता है, तो आप अपना सारा पैसा खो देंगे। इसलिए, रिस्क बांटे। डायवर्सिफ़ाई करें ।
डायवर्सिफ़िकेशन अलग-अलग तरह के निवेशों में इनवेस्ट करके आपके रिस्क को कम करता है।
यह न मुनाफ़े की गारंटी देता है और न नुक़सान से बचाता है, लेकिन यह आपके पोर्टफ़ोलियो को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकता है।
3. अलग-अलग एसेट में डायवर्सिफ़िकेशन
एक अच्छी तरह से डाइवर्स पोर्टफ़ोलियो, रिस्क के कई लेवल के साथ ही कई एसेट क्लासेज, या एसेट के प्रकारों को जोड़ता है। आपके पोर्टफ़ोलियो में शामिल करने के लिए स्टॉक, बॉन्ड, कैश, रियल एस्टेट, FD और गोल्ड कुछ ऑप्शन हो सकते हैं।
इन सभी में स्टॉक सबसे रिस्की है, लेकिन उनमें ग्रोथ की सबसे ज़्यादा संभावना भी होती है। बॉन्ड शेयर की तुलना में कम अस्थिर होते हैं, लेकिन इनका रिटर्न कम होता है।
रियल एस्टेट महंगा है और इसमें कैश कमीशन ज़्यादा होता है। FD और गोल्ड को अक्सर सबसे सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इनमें सबसे कम रिटर्न होता है।
एक तरह की मार्केट कंडीशंस में हर एसेट अलग-अलग तरह से परफ़ॉर्म करता है। ऐसे में, डायवर्सिफ़िकेशन आपके पोर्टफ़ोलियो को बैलेंस करेगा।
अपने पोर्टफ़ोलियो का एक प्रतिशत हर एसेट क्लासेज को उनकी रिस्क टॉलरेंस, रिटारमेंट तक के वर्षों की संख्या और दूसरे कारकों के आधार पर बांटे।
4. एसेट को डायवर्सिफ़ाई करें
अलग-अलग एसेट के बीच अपने इनवेस्टमेंट को डायवर्सिफ़ाईड कर लिया? इसमें फिर से डायवर्सिफ़ाई करें। जी हां।
आइए, समझने के लिए बतौर उदाहरण स्टॉक को लेते हैं। शेयर में डायवर्सिफ़िकेशन के मौके अनंत हैं। आप कंपनी के साइज़ (लार्ज़, मीडियम या स्मॉल-कैप स्टॉक), रीजन (भारतीय या विदेशी) और इंडस्ट्री और सेक्टर में डायवर्सिफ़ाई कर सकते हैं।
अगर आप अपने स्टॉक पोर्टफ़ोलियो में डायवर्सिफ़िकेशन लाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने के लिए आपके पास समय या मोटिवेशन नहीं है, तो आप म्यूचुअल फ़ंड या एक्सचेंज-ट्रेडेड फ़ंड (ETF) पर भी विचार कर सकते हैं।
ऐसा ही सोने जैसे अन्य एसेट के लिए भी कर सकते हैं। आप फ़िजिकल गोल्ड, गोल्ड ETF, SGB, डिज़िटल गोल्ड वग़ैरह में इनवेस्टमेंट कर सकते हैं।
5. जानिए आपको कब बाहर निकलना है
यह जानना भी पोर्टफ़ोलियो डायवर्सिफ़िकेशन का एक हिस्सा है कि आपको अपने इनवेस्टमेंट को कब बाहर निकालना है। आप जिस एसेट क्लास में इनवेस्टमेंट कर रहे हैं, अगर उसने लंबे समय से अच्छा फ़ायदा नहीं दिया है या फिर अगर एसेट क्लास का मूलभूत स्ट्रक्चर इस तरह बदल गया है कि वह अब आपके लक्ष्य और रिस्क टॉलरेंस के मुताबिक़ नहीं है, तो आपको इससे बाहर निकल जाना चाहिए।
याद रखें, अगर आपने मार्केट से जुड़े प्रॉडक्ट में इनवेस्टमेंट किया है, तो केवल इसलिए बाहर न निकलें। क्योंकि कुछ शॉट-टर्म अस्थिरता होती है।
डायवर्सिफ़िकेशन आपके फ़ाइनेंशियल लक्ष्यों को पाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम है। लेकिन यह गारंटी नहीं देता कि आपको नुक़सान नहीं होगा।
यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी आपका पैसा खो सकता है।
आखिरकार, ख़तरे से पूरी तरह बचने का कोई रास्ता नहीं है। लेकिन यह निश्चित तौर पर मार्केट के नुक़सान के रिस्क को कम से कम करने में आपकी मदद कर सकता है।
बस सुनिश्चित करें कि आपका इनवेस्टमेंट पैकेज अभी भी साल में कम से कम एक बार आपकी रिस्क लेने के क्षमता और फ़ाइनेंशियल टारगेट के मुताबिक़ हो।
जब आपके फ़ाइनेंशियल हालात बदलें, तब अपने डायवर्सिफ़िकेशन के तरीक़ों पर फिर से सोच-विचार करें। आप सलाह लेने और अपने इनवेस्टमेंट पर नज़र रखने के लिए किसी फ़ाइनेंशियल एडवाइज़र से भी मिल सकते हैं।